क्या प्रदूषण से बचने में कारगर हैं मास्क?

क्या प्रदूषण से बचने में कारगर हैं मास्क?

रोहित पाल

दिल्ली सहित भारत के कई राज्यों में पॉलुशन अपने चरम सीमा पर है। दिवाली के बाद से हवा बहुत खराब हो गयी है जिससे खुले में सांस लेना दूभर हो गया है। खासकर दिवाली के आस-पास तो माहौल तकरीबन एक गैस चैंबर में तब्दील हो जाता है। जिसमें सुबह के वक्त भी (जो अमूमन तरोताजा माना जाता है) खुलकर सांस लेना जानलेवा होता जा रहा है। दिवाली फिर इसी बीच दिल्ली से सटे राज्यों में पराली जलाए जाने से पूरे उत्तर भारत में वायु प्रदूषण खासा बढ़ता जा रहा है। दिल्ली के डॉक्टरों की माने तो इस वक्त दिल्ली की आबोहवा में सांस लेने वाला हर इंसान लगभग 15-20 सिगरेट रोजाना पी रहा है।

पिछले कुछ सालों में बच्चों पर यह प्रदूषण कई तरह से असर डाल रहा है। इसका असर न उनके स्वास्थ्य पर बल्कि उनकी रोजाना की जिंदगी पर भी पड़ रहा है। यही नहीं पिछले कुछ सालों में तेजी से बढ़ते वायु प्रदूषण से अलग-अलग उम्र के लोगों के मरने का ग्राफ बढ़ा है। ऐसे में प्रदुषण से बचने के लिए आपके पास कई विकल्प हैं जैसे- मास्क, एयर प्यूरीफायर और अन्य। लोग बचने के लिए अमूमन इन चीज़ों का इस्तेमाल करते हैं। लेकिन इन विकल्पों में से हम अगर मास्क की बात करें तो सवाल यह हैं कि क्या मास्क प्रदुषण से सुरक्षित रखने में उतना कारगर है। मतलब कि मास्क किस हद तक आपको सुरक्षित रखता है। आइये इसके ऐसे कुछ पहलुओं पर नजर डालते हैं और समझते हैं कि ये हमें किस तरह सुरक्षित रख पायेगा।

मास्क का उपयोग कितना सेफ है:

  • जो मास्क इस वक्त बाजार में उपलब्ध हैं वह प्रदुषण से बचने के लिए उतने बेहतर नहीं हैं। अगर आप फिर भी इसका उपयोग करना चाहते हैं तो मास्क खरीदने से पहले ये जान लें कि मास्क आपको फिट हो रहा है या नहीं क्योंकि कई बार लोग ऐसा मास्क खरीद लेते हैं जिसमें हवा बाहर से जाती है और ऐसा मास्क पहनने से कोई फायदा नहीं है।

 

  • मास्क को पहनने और उपयोग करने का भी तरीका होता है ऐसा नहीं जो मास्क मिला उसे पहन लिया। मतलब कि ऐसा हो जिसमें ऐसी सामग्री प्रयोग की गयी हो जो पॉलुशन के छोटे-छोटे कणों को (PM 2.5) को रोक सकें और जो सांस को बाहर निकालने में अच्छा वेंटिलेशन भी दें।

 

  • कॉटन से बने मास्क का प्रयोग केवल 6 घंटे के लिए ही कर सकते हैं। यह प्रदुषण से लड़ने में उतना प्रभावी नहीं होता है। यह धुल के सिर्फ बड़े कणों को ही अंदर जाने से रोक पाता है। यह 10 से 30 रूपये में मिलते हैं।

 

  • अक्सर थूक लगने और सांस की नमी से मास्क की धुल के कणों को रोकने की क्षमता खत्म हो जाती है और नमी वाला मास्क पहनना हानिकारक हो सकता है।

 

किस प्रकार के मास्क खरीद सकते हैं:

1-सिंगल लेयर मास्क

यह कॉटन से बना साधारण मास्क है जो प्रदूषण से लड़ने में बहुत प्रभावी नहीं है। यह पीएम 10 और पीएम 2.5 से नहीं बचाता। सिर्फ धूल के बड़े कणों को कुछ हद तक रोक पाता है। यह मास्क 10 रुपये से 30 रुपये में आता है।

2-ट्रिपल लेयर मास्क

इस मास्क से भी 20 से 30 प्रतिशत तक ही प्रदूषण को रोका जा सकता है। हालांकि तीन लेयर होने की वजह से यह पीएम 10 कणों को कुछ हद तक रोकने में कामयाब रहता है। इसकी कीमत 50 रुपये से 200 रुपये तक होती है।

3-सिक्स लेयर मास्क

यह प्रदूषण से 80 फीसदी तक बचाव करता है। अधिक प्रदूषित क्षेत्र में यह भी कारगर नहीं है। यह काफी हद तक पीएम 10 के अलावा पीएम 2.5 कणों को भी शरीर के अंदर जाने से रोकता है। यह 200 से 1 हजार रुपये की रेंज में उपलब्ध है।

4-एन-95

यह सबसे सुरक्षित मास्क है। यह पीएम 2.5 को भी सांस में जाने से रोकता है। यह 100 रुपये से शुरू होकर 1500 रुपये तक में बिक रहा है। डॉक्टर भी आमतौर पर यही मास्क यूज करते हैं। लेकिन यह मास्क काफी टाइट होता है और लंबे समय तक इसे पहने रहना संभव नहीं है।

 

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